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यह पुस्तक ठाकुर परिवार के 200 वर्षों का संक्षिप्त विवरण तथा 70 वर्षों का इतिहास है। लेखक के जीवनानुभव के साथ-साथ भारत के तत्कालीन समाज एवं राजनीतिक घटनाओं का भी सजीव चित्रण प्रस्तुत किया गया है। लेखक ने अपने जीवन के उतार-चढ़ाव, दुर्घटनाओं, दुखों का मार्मिक चित्रण किया है। इसमें लेखक के टीन-एज (किशोरावस्था) से सम्पन्न कॉलेज के दिनों के दिल को गुमसुमाने वाली घटनाओं का मोहक चित्रण भी है।
इस पुस्तक में "वैकल्पिक वास्तविकता" का एक अध्याय (चेप्टर-20) है। इस चेप्टर में अनिल, वैकल्पिक वास्तविकता के "अनंत कुमार ठाकुर" से मानसिक रूप से जुड़ (Quantum entanglement) जाते हैं। दूसरे अनिल को इन्होंने "प्रतिलिपि अनिल" की संज्ञा दी है।
About the Author -
इस पुस्तक के लेखक अनिल कुमार ठाकुर ने आर्थिक रूप से निम्नमध्यवर्गीय समाज के सदस्य के रूप में अपने जीवन की यात्रा प्रारंभ की लेकिन आज वे मानसिक रूप से उच्च/विशालकाय वर्ग में आ गए हैं। लेखक का अपने जीवन की छोटी-छोटी बातों को शब्दों में पिरोने का अद्भुत हुनर इस आत्मकथा में साफ झलकता है। यह उनकी एक ईमानदार कोशिश है, जिसमें उन्होंने अपने जीवन के उतार-चढ़ाव और संघर्ष को पूरी ईमानदारी से उकेरा है। इस पुस्तक में किशोरावस्था की गुनगुनाहट की झलक भी मिलती है।
लेखक ने समाजशास्त्र और हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की है। इन्होंने 35+ वर्षों तक कोल इंडिया लिमिटेड में विभिन्न पदों पर कार्य किया है। वर्तमान में पुणे (महाराष्ट्र) में सेवानिवृत्त जीवन बिता रहे हैं।